विदेश की खबरें | भारत ने बस्तियां बसाने की इजराइली गतिविधियों की निंदा करने वाले प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया

संयुक्त राष्ट्र, 12 नवंबर भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में उस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जिसमें कब्जे वाले फलस्तीनी क्षेत्र में बस्तियां बसाने की इजराइली गतिविधियों की निंदा की गई है।
‘पूर्वी यरुशलम सहित कब्जे वाले फलस्तीनी क्षेत्र और कब्जे वाले सीरियाई गोलान में इजराइली बस्तियां’ शीर्षक वाले मसौदा प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र महासभा की विशेष राजनीतिक और विउपनिवेशीकरण समिति (चौथी समिति) ने 145 के रिकॉर्ड मतों से मंजूरी दे दी। बृहस्पतिवार को हुए मतदान में प्रस्ताव के विरोध में सात वोट पड़े और 18 सदस्य देश अनुपस्थित रहे।
प्रस्ताव के ख़िलाफ़ मतदान करने वालों में कनाडा, हंगरी, इज़राइल, मार्शल द्वीप, संघीय राज्य माइक्रोनेशिया, नाउरू और अमेरिका शामिल थे।
भारत, बांग्लादेश, भूटान, चीन, फ्रांस, जापान, मलेशिया, मालदीव, रूस, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका और ब्रिटेन सहित 145 देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया।
प्रस्ताव की शर्तों के अनुसार, महासभा पूर्वी यरुशलम सहित कब्जे वाले फलस्तीनी क्षेत्र और कब्जे वाले सीरियाई गोलान में बस्तियां बसाने की गतिविधियों और भूमि की जब्ती, व्यक्तियों की आजीविका में व्यवधान, नागरिकों के जबरन स्थानांतरण से जुड़ी किसी भी गतिविधि की निंदा करती है।
प्रस्ताव में इस बात को दोहराया गया है कि पूर्वी यरुशलम सहित कब्जे वाले फलस्तीनी क्षेत्र और कब्जे वाले सीरियाई गोलान में इजराइली बस्तियां अवैध हैं और शांति, आर्थिक और सामाजिक विकास में बाधा हैं।
प्रस्ताव में पूर्वी यरुशलम सहित कब्जे वाले फलस्तीनी क्षेत्र और कब्जे वाले सीरियाई गोलान में बस्तियां बसाने की सभी इजराइली गतिविधियों को तत्काल और पूर्ण रूप से बंद करने की मांग दोहराई गई है।
भारत ने पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा में उस प्रस्ताव पर हुए मतदान में हिस्सा नहीं लिया था, जिसमें इजराइल-हमास संघर्ष में तत्काल मानवीय संघर्ष विराम और गाजा पट्टी में निर्बाध रूप से मानवीय सहायता पहुंचाने का आह्वान किया गया था।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने मतदान पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा था कि ऐसी दुनिया में जहां मतभेदों और विवादों को बातचीत से हल किया जाना चाहिए, इस प्रतिष्ठित संस्था को हिंसा का सहारा लेने की घटनाओं पर चिंतित होना चाहिए।
पटेल ने कहा था, ‘‘हिंसा जब इतने बड़े पैमाने और तीव्रता पर होती है, तो यह बुनियादी मानवीय मूल्यों का अपमान है।’’
उन्होंने कहा था कि राजनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के साधन के रूप में हिंसा का इस्तेमाल भारी नुकसान पहुंचाता है और यह किसी भी टिकाऊ समाधान का मार्ग प्रशस्त नहीं करती।

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