देश की खबरें | कश्मीर : अंतरराष्ट्रीय सीमा पर मारे गए बीएसएफ जवान ने नियंत्रण रेखा पर दर्जनों सैनिकों की जान बचाई थी

नयी दिल्ली, 10 नवंबर जम्मू में बृहस्पतिवार को अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास पाकिस्तानी रेंजर्स की अकारण गोलीबारी में मारे गए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के हेड कांस्टेबल लाल फाम कीमा एक ‘निडर’ सैनिक थे, जिन्होंने एक बार जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के करीब एक आतंकवादी रोधी अभियान के दौरान अपने दर्जनों साथियों की जान बचाई थी।
जम्मू-कश्मीर में 1998 की सर्दियों में एक अभियान के दौरान गूल गांव में मिट्टी के घर के अंदर छिपे एक आतंकवादी को मार गिराने के लिए कीमा ने अपनी लाइट मशीन गन (एलएमजी) खाली कर दी थी और जोर-जोर से चिल्लाकर कहा था कि ‘तुम साला पिन निकालेगा।’
उस अभियान को याद करते हुए कीमा के तत्कालीन कमांडिंग ऑफिसर (सीओ) ने एक भावनात्मक पोस्ट लिखा, जिसे बीएसएफ के कई अधिकारियों ने सोशल मीडिया मंचों पर साझा किया।
भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे जम्मू के रामगढ़ सेक्टर में बृहस्पतिवार को पाकिस्तानी रेंजर्स की बिना उकसावे वाली गोलीबारी में कीमा (50) की मौत हो गई थी। आइजोल के रहने वाले हेड कांस्टेबल कीमा 1996 में सीमा सुरक्षा बल में शामिल हुए थे और वर्तमान में बीएसएफ की 148वीं बटालियन में तैनात थे, जिसे अंतरराष्ट्रीय सीमा की हिफाजत का जिम्मा सौंपा गया है।
कीमा के पूर्व सीओ सुखमिंदर (पोस्ट में केवल पहले नाम का उल्लेख किया गया है) ने उन्हें याद करते हुए कहा कि जब उन्होंने सीमा पर एक बीएसएफ जवान की मौत की खबर सुनी, तो इस अकारण गोलीबारी में अपने पुराने सहयोगी के मारे जाने के डर के चलते उनके मन में उथल-पुथल मच गई।
पूर्व सीओ ने कहा कि वह युवा अधिकारियों और सैनिकों को बीते कई वर्षों से “एलओसी पर लगभग 25 साल पहले चलाए गए एक अभियान के दौरान कीमा द्वारा दिखाई गई बहादुरी और सतर्कता के किस्से सुनाते आ रहे हैं।”
‘पीटीआई-‘ के पास मौजूद इस पोस्ट में जिक्र किया गया है कि आतंकी मिट्टी के एक घर के अंदर छिपे हुए थे और सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ के बाद उन्होंने फिदायिन हमला कर खुद को उड़ा लिया, ताकि आसपास मौजूद बीएसएफ जवानों को भी मारा जा सके।

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