जरुरी जानकारी | सूक्ष्म वित्त संस्थानों को आंकड़ों, साइबर सुरक्षा पर ध्यान देने की जरूरत: एसबीआई प्रबंध निदेशक

नयी दिल्ली, आठ नवंबर भारतीय स्टेट बैंक के प्रबंध निदेशक आलोक कुमार चौधरी ने बुधवार को कहा कि छोटी राशि के कर्ज देने वाले सूक्ष्म वित्त संस्थानों (एमएफआई) को आंकड़ों की सुरक्षा तथा साइबर सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए। इसका कारण उनके पास बड़ी संख्या में ग्राहकों के आंकड़े होते हैं।
चौधरी ने सा-धन के एक सम्मेलन में कहा कि भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिये एमएफआई को क्षमता निर्माण पर भी ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘दूसरी बात जो बहुत महत्वपूर्ण है वह है उभरते विनियमन के साथ एकीकरण। खासकर जब आपके पास आंकड़ों की गोपनीयता का कानून है। सभी सूक्ष्म वित्त संस्थानों के पास कई ग्राहकों के आंकड़े हैं। ऐसे में आंकड़ों की सुरक्षा पर ध्यान देना और इस दिशा में काम करने की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा कि वित्तीय संस्थानों को डिजिटल माध्यम से लेन-देन सुगम बनाने पर ध्यान देने की जरूरत है और बदलते समय में ग्राहकों की जरूरतों को उनकी सुविधा और सुगमता के अनुसार पूरा करना होगा।
एसबीआई के प्रबंध निदेशक ने कहा, ‘‘पिरामिड के निचले स्तर के ग्राहकों के लिये हमें यह समझने की जरूरत है कि वे क्या चाहते हैं। इससे आसानी से उनकी इच्छा पूरी की जा सकती है।’’
एसबीआई के पास एमएफआई के साथ-साथ एनबीएफसी के लिये एक महत्वपूर्ण कर्ज सुविधा है जो वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं।
सरकार के वित्तीय समावेश अभियान में एसबीआई की भागीदारी के बारे में चौधरी ने कहा, अकेले बैंक ने पीएम जन धन योजना के तहत खोले गये कुल खातों में से 36 प्रतिशत खाते खोले हैं।
पिछले नौ साल में पीएम जन धन योजना के तहत 50 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले गए हैं और जमा राशि बढ़कर 2.03 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई है।
उन्होंने अटल पेंशन योजना के संबंध में कहा कि एसबीआई ने इस योजना के तहत कुल ग्राहकों में से 32 प्रतिशत को जोड़ा है।
इस मौके पर सिडबी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक एस रमण ने कहा कि सूक्ष्म वित्त संस्थानों को अपने ग्राहक आधार के बारे में संतुष्ट नहीं होना चाहिए क्योंकि डिजिटलीकरण के कारण बाजार में बड़ा बदलाव हो रहा है।

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