देश की खबरें | विपक्षी सदस्यों ने असहमति नोट में कहा: मोइत्रा के खिलाफ राजनीतिक कारणों से हुई निष्कासन की सिफारिश

नयी दिल्ली, नौ नवंबर लोकसभा की आचार समिति के पांच विपक्षी सदस्यों ने अपने असहमति नोट में कहा है कि तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा के निष्कासन की सिफारिश पूरी तरह से राजनीतिक कारणों से की गई है और इससे आने वाले समय में एक खतरनाक परिपाटी कायम होगी।
सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
समिति में शामिल एन उत्तम कुमार रेड्डी और वी वैथिलिंगम, बसपा के दानिश अली, जनता दल (यूनाइटेड) के गिरधारी यादव और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के पी. नटराजन ने असहमति के नोट दिए हैं।
सूत्रों ने बताया कि विपक्षी सदस्यों ने अपने असहमति के नोट में यह दावा भी किया कि जांच की यह प्रक्रिया एक दिखावा और ‘कंगारू अदालत’ की कार्यवाही की तरह है।
सूत्रों के अनुसार, असहमति के नोट में इन सदस्यों ने समिति के अधिकार क्षेत्र को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि यह समिति सिर्फ निलंबन की कार्रवाई की अनुशंसा कर सकती है और इसका अधिकार क्षेत्र यहीं तक सीमित है।
उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी सबूत के अभाव में यह समिति किस आधार पर निष्कासन की सिफारिश कर सकती है? यह पूरी तरह से राजनीतिक कारणों के चलते है और एक खतरनाक मिसाल कायम करेगी।’’
सूत्रों के अनुसार, एक विपक्षी सदस्य ने कहा, ‘‘जिस तरह से औचित्य तथा कानूनी आवश्यकताओं के पूर्ण अभाव से यह तथाकथित जांच की गई, उससे मैं स्तब्ध हूं। मैं अपनी पुरजोर असहमति को रिकॉर्ड पर रख रहा हूं।’’
समिति में शामिल पांच विपक्षी सदस्यों ने असहमति नोट में कहा, ‘‘ व्यक्तिगत प्रतिशोध का हिसाब बराबर करने का मंच बनना आचार समिति का काम नहीं है। यह एक खतरनाक मिसाल कायम करेगा और संसद सदस्यों को भविष्य में इच्छुक पार्टियों द्वारा हर तरह के उत्पीड़न का मौका देगा।’’
उन्होंने यह भी कहा कि नकदी और उपहार के आरोप पर: शिकायतकर्ता द्वारा लिखित शिकायत या मौखिक सुनवाई में किसी भी नकदी या रिश्वत के दिए या लिए जाने का कोई दस्तावेजी साक्ष्य प्रदान नहीं किया गया था।
उनके मुताबिक, ‘‘ यह न्याय का बुनियादी नियम है कि कथित अपराध को साक्ष्य के साथ साबित करना शिकायतकर्ता का काम है, न कि आरोपी सांसद का काम है कि वह अपनी बेगुनाही साबित करे।’’
विपक्षी सदस्यों ने यह भी कहा, ‘‘एनआईसी पोर्टल लॉगिन के आरोप के मामले में कोई नियम मौजूद नहीं है और किसी भी सांसद को कोई नियम उपलब्ध नहीं कराया गया। हम सभी संसदीय कार्यों में सहायता के लिए सहायकों, प्रशिक्षुओं, रिश्तेदारों और दोस्तों का उपयोग करते हैं। एक सांसद के रूप में किसी भी स्रोत से जानकारी प्राप्त करना और अपने संसदीय कार्य के लिए संसद के क्षेत्र से बाहर किसी भी व्यक्ति/व्यक्तियों की मदद लेना हमारे अधिकार में है।’’
उनका कहना है, ‘‘मोइत्रा पहले ही कह चुकी हैं कि उन्होंने दर्शन हीरानंदानी के कार्यालय से अपने प्रश्नों के लिए केवल टाइपिंग सेवाओं का उपयोग किया था और ओटीपी उनके आईपैड/लैपटॉप/फोन पर आया था, इस प्रकार किसी दूसरे की पहुंच की कोई गुंजाइश नहीं थी। राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित आरोप बिल्कुल बेतुका है।’’
उन्होंने यह भी कहा कि यह तिल का ताड़ बनाने का यह एक उत्कृष्ट मामला है।
विपक्षी सदस्यों ने दो नवंबर को मोइत्रा की समिति के समक्ष पेशी का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘मोइत्रा की मौखिक सुनवाई स्पष्ट रूप से अधूरी थी। अध्यक्ष के अलावा किसी को भी सवाल पूछने की इजाजत नहीं थी। सभापति के पास स्वयं प्रश्नों की एक तैयार पटकथा थी जो पूरी तरह से पूर्वाग्रहित, अप्रासंगिक, अपमानजनक और एक महिला सांसद की गरिमा को नुकसान पहुंचाने वाली थी। हमने एक महिला साथी के इस “वस्त्रहरण” का विरोध किया और उपस्थित समिति के 10 सदस्यों में से 5 विरोध में बाहर चले गए।’’
उनका कहना है कि शिकायत में कोई दम नहीं है, लेकिन इसका इस्तेमाल लोकसभा की एक महिला सदस्य को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है।
विपक्षी सदस्यों ने असहमति नोट में यह भी कहा, ‘‘बसपा सांसद दानिश अली को चेतावनी देने की सिफारिश कैसे कर रही है? हम सभी बैठक से विरोध स्वरूप बाहर चले गए थे और हमारा दायित्व था कि हम अंदर अपनाई जा रही जांच की असंसदीय पद्धति के बारे में लोगों को जागरूक करें। नियम 275(2) के उल्लंघन के लिए कुंवर दानिश अली को अकेला जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि आपने स्वयं बार-बार प्रेस से बात करके इस नियम का उल्लंघन किया है।’’
हक

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