देश की खबरें | राज निवास अधिकारियों ने आप सरकार पर ‘सम-विषम’ पर अदालत को गुमराह करने का आरोप लगाया

नयी दिल्ली, सात नवंबर दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार पर अदालत और लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए, राज निवास के अधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि ‘क्रमिक प्रतिक्रिया कार्य योजना’ (ग्रैप) के चौथे चरण को लागू करने के लिए उपराज्यपाल (एलजी) को भेजी गई फाइल में कहा गया था कि ‘सम-विषम’ पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
हालांकि, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि ’सम-विषम’ योजना लागू करने का फैसला छह नवंबर को लिया गया था और अधिकारी जिस फाइल की बात कर रहे हैं, उसे चार नवंबर को एलजी वीके सक्सेना की मंजूरी के लिए भेजा गया था।
उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारी सक्सेना को “गुमराह” कर रहे हैं और कहा कि योजना के कार्यान्वयन की फाइल परिवहन विभाग एलजी को भेजेगा।
इससे पहले दिन में राय ने कहा कि दिल्ली सरकार ‘सम- विषम’ योजना को अंतिम रूप देते समय प्रदूषण पर उच्चतम न्यायालय के निर्देशों को ध्यान में रखेगी।
राज निवास के एक अधिकारी ने कहा, “दिवाली के बाद वायु प्रदूषण से लड़ने के लिए ‘आप’ सरकार द्वारा कल घोषित बहु प्रचारित सम-विषम योजना कुछ नहीं बल्कि लोगों और अदालत को गुमराह करने की कोशिश है ताकि राजधानी में वायु प्रदूषण के कारण गंभीर संकट से ध्यान भटकाया जा सके।”
अधिकारी ने कहा, “इस आशय की फाइल स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि ग्रैप के चौथे चरण के तहत उपायों के अंतर्गत सम- विषम योजना को लागू करने के निर्णय को मंत्री गोपाल राय ने मंजूरी नहीं दी है। इसके बाद, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कार्यालय ने गोपाल राय द्वारा प्रस्तावित वाहनों के ‘सम-विषम’ आधार पर परिचालन पर निर्णय को स्थगित करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी, क्योंकि मुख्यमंत्री शहर से बाहर थे।”
राज निवास के अधिकारी ने बताया कि एलजी को भेजी गई फाइल में प्रस्तावित है कि 11वीं कक्षा तक के लिए सभी प्रत्यक्ष कक्षाएं बंद कर दी जाएं और कक्षाएं ऑनलाइन आयोजित की जाएं, सरकारी, निगम और निजी कार्यालय 50 प्रतिशत क्षमता पर काम करें, सभी कॉलेज, शैक्षणिक संस्थान और गैर-आपातकालीन व्यावसायिक गतिविधियां बंद कर दी जाएं और वाहनों को सम-विषम पंजीकरण संख्या के आधार पर चलाया जाए।
उन्होंने कहा, “ गोपाल राय और मुख्यमंत्री ने वाहनों के सम-विषम परिचालन को छोड़कर सभी प्रस्तावों को मंजूरी दे दी, क्योंकि वे चाहते थे कि (सम विषम को) लागू करने पर निर्णय विशेषज्ञों की सलाह के बाद लिया जाए। इसके बाद फाइल को एलजी की मंजूरी के लिए एलजी सचिवालय भेजा गया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उपराज्यपाल सचिवालय ने मुख्यमंत्री कार्यालय को अपनी सूचना में जानबूझकर की गई इस गलतबयानी के बारे में बताया है।”
अधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री कार्यालय को लिखे एक नोट में, एलजी सचिवालय ने कहा कि फाइल उन्हें चार नवंबर को भेजी गई थी, “जबकि ग्रैप के चौथे चरण के तहत उपायों को लागू के आदेश के बारे में सार्वजनिक घोषणाएं पहले ही मीडिया में की जा चुकी थीं और आदेश पांच नवंबर को ही जारी कर दिया गया था।”
उन्होंने कहा, “मीडिया में इस आशय की घोषणाएं लोगों के साथ-साथ माननीय न्यायालयों को भी गुमराह करने के समान हैं, जो शहर में गंभीर वायु प्रदूषण से उत्पन्न स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं।”
अधिकारियों पर एलजी को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए राय ने कहा, ”जिस फाइल के आधार पर वह बता रहे हैं कि सम विषम का प्रस्ताव सरकार की ओर से आया है, वह चार नवंबर की है। इसके आधार पर पांच नवंबर की शाम को सीएक्यूएम ने ग्रैप के चौथे चरण को लागू करने का फैसला किया। अगले दिन छह नवंबर को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने वायु प्रदूषण को लेकर दिल्ली सचिवालय में एक बैठक बुलाई। उस बैठक में फैसला लिया गया कि दिल्ली में सम विषम लागू किया जाएगा।”
उन्होंने कहा, “सम विषम लागू करने का फैसला छह नवंबर को लिया गया था। ऐसे में चार नवंबर की फाइल में सम विषम कैसे लिखा जा सकता है? अब इसकी फाइल भेजने की प्रक्रिया चल रही है। मोटर वाहन अधिनियम के तहत सम विषम लागू किया जाता है। परिवहन विभाग इस पर काम कर रहा है।’’

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