अयोध्या, 10 नवंबर : 22 जनवरी में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अयोध्या में किए जाने वाले राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में विपक्ष के नेताओं को भी आमंत्रित किया जाएगा. इस संबंध में जल्द ही कांग्रेस और समाजवादी पार्टी सहित विपक्षी नेताओं को विशेष रूप से पूजे गए चावल (‘अक्षत’) दिए जाएंगे. सूत्रों के मुताबिक, विहिप अगले साल एक जनवरी से एक राष्ट्रव्यापी अभियान के तहत राजनीतिक संगठनों से संपर्क करना शुरू कर देगी, जो “पार्टी लाइन से ऊपर उठकर” होगा.
विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा, ”राजनीतिक विचारधारा के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा. हर इच्छुक व्यक्ति को, चाहे उनकी राजनीतिक संबद्धता कुछ भी हो, पवित्र ‘अक्षत’ के साथ आमंत्रित किया जाएगा.’ विहिप सूत्रों ने कहा कि संगठन को साधु-संतों ने यह सुनिश्चित करने की सलाह दी है कि राम मंदिर का उद्घाटन एक “गैर-राजनीतिक” कार्यक्रम रहे. विहिप के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ”यह राम भक्तों का मंदिर है, एक राष्ट्र मंदिर है.”
विपक्षी नेताओं, मुख्य रूप से कांग्रेस के नेताओं द्वारा यह सवाल उठाए जाने के बाद कि क्या राम मंदिर का उद्घाटन एक “भाजपा कार्यक्रम” बन जाएगा, कुछ दिनों बाद यह घटनाक्रम काफी महत्वपूर्ण हो गया है. यह तब हुआ जब संतों और राम जन्मभूमि तीरथ क्षेत्र के कई अधिकारियों ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और मंदिर के उद्घाटन के लिए निमंत्रण दिया. 5 नवंबर को अयोध्या से रवाना किए गए ‘अक्षत कलश’ विहिप की 45 प्रांतों, संगठनात्मक राज्य इकाइयों तक पहुंच चुके हैं. यहां से उन्हें पुनर्वितरित किया जाएगा.
सूत्रों ने कहा कि यह कवायद दिसंबर के अंत तक पूरी हो जाएगी, इसके बाद विहिप और उससे जुड़े समूह घरों तक पहुंचना शुरू कर देंगे. विहिप के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कलश “हर गांव, हर घर” तक पहुंचेगा. उन्होंने कहा, “कुल मिलाकर, अभियान कम से कम 5 लाख गांवों और 60 करोड़ से अधिक लोगों को कवर करेगा.” विहिप ने 2021 के ‘राम जन्मभूमि निधि समर्पण अभियान’ के समान अभियान चलाने की योजना बनाई है, जब उसने राम मंदिर के निर्माण के लिए हजारों करोड़ की धनराशि एकत्र की थी. सूत्रों ने कहा कि “संघर्ष” के दिनों में अपना योगदान देने वाले कार सेवकों के परिवारों और अदालतों में लड़ाई लड़ने वाले वकीलों तक पहुंचने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.