विदेश की खबरें | चीन के बारे में क्या सोचते हैं प्रशांत महासागर क्षेत्र के देशों के लोग : सर्वेक्षणों में हुआ खुलासा

सिडनी, 13 नवंबर (द कन्वरसेशन) चीन ने हाल के वर्षो में प्रशांत महासागर में तेजी से अपने कदम जमाए हैं क्योंकि वह अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ पारंपरिक रूप से मजबूत संबंध रखने वाले कई देशों पर अपना प्रभाव छोड़ने और उन्हें चुनौती पेश करने के प्रयास कर रहा है।
ऐसे में सवाल उठता है कि प्रशांत महासागर के आसपास पड़ने वाले देशों के लोग क्षेत्र में चीन के हितों के विस्तार और गतिविधियों के बारे में क्या सोचते हैं।
यह पता लगाने के लिए हमने दो देशों पापुआ न्यू गिनी और सोलोमन द्वीपसमूह में सर्वे किए, जहां चीन ने हाल के वर्षों में अपना प्रभाव बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया है। दोनों देशों ने “सभी के मित्र और किसी से शत्रुता नहीं” की विदेश नीति अपनाई है।
पापुआ न्यू गिनी क्षेत्र में चीन का प्रमुख कूटनीतिक और व्यापार साझेदार है। प्रधानमंत्री जेम्स मरापे ने हाल ही में चीन की यात्रा की, जहां उन्होंने और चीन के नेताओं ने अपने प्रगाढ़ होते आर्थिक व सुरक्षा संबंधों पर चर्चा की। इस दौरान साझा मुद्रा व्यापार समझौते को लेकर भी चर्चा हुई।
इस बीच, सोलोमन द्वीपसमूह ने ताइवान को दी गई राजनयिक मान्यता सितंबर 2019 में रद्द कर दी, जिसके बाद से चीन के साथ उसके संबंध तेजी से मजबूत हुए हैं। चीन ने प्रधानमंत्री एम सोगावरे की सरकार के साथ व्यापार, कृषि, स्वास्थ्य, मत्स्य पालन और पुलिस आदि को लेकर सहयोग बढ़ाने के लिए बड़े स्तर पर प्रयास किए हैं।
हमारे पहले सर्वेक्षण में पापुआ न्यू गिनी में चीन के स्वामित्व वाली रामू नीको परियोजना की कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारियों का आकलन उन लोगों की नजर से करने की कोशिश की गई जो फिलहाल मदांग प्रांत में रह रहे हैं या रह चुके हैं, जहां यह परियोजना है।
हमने कुल मिलाकर 100 लोगों की प्रतिक्रिया ली, जिनमें मुख्यतः डिवाइन वर्ड यूनिवर्सिटी के वर्तमान और पूर्व छात्र एवं कर्मचारी शामिल थे।
वर्ष 2019 में, निकेल खदान संचालक को गलती से प्रांत की एक खाड़ी में लगभग 200,000 लीटर जहरीला घोल छोड़ने के लिए माफी मांगनी पड़ी थी।
हमारे उत्तरदाताओं में से ज्यादातर (98 प्रतिशत) ने कहा कि वे पर्यावरण प्रदूषण के बारे में चिंतित हैं, जबकि लगभग 60 प्रतिशत लोगों ने कहा कि खदान परियोजना से पापुआ न्यू गिनी को कोई लाभ नहीं हुआ है।
लोगों से सवाल किया गया कि क्या वह चीन के स्वामित्व वाली कंपनी रामू निको को परियोजना की मंजूरी देने के पिछली सरकार के फैसले का समर्थन करते हैं, तो 70 प्रतिशत ने “नहीं” जवाब दिया।
हालांकि, खनन पट्टे के क्षेत्र में रहने वाले लोग ‘रॉयल्टी’ या सहायक कारोबार के रूप में सीधे वित्तीय लाभ के कारण परियोजना के बारे में अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं।
हमारे 72 प्रतिशत प्रतिभागियों ने कहा कि वे पापुआ न्यू गिनी सरकार द्वारा चीन के साथ संबंध प्रगाढ़ बनाने का समर्थन करते हैं।
हमारे दूसरे सर्वेक्षण में पापुआ न्यू गिनी के 78 छात्रों से बात की गई, जिन्हें चीन सरकार की ओर से छात्रवृत्ति मिली थी। अधिकांश उत्तरदाताओं (87 प्रतिशत) ने कहा कि वे अपने दोस्तों को इस छात्रवृत्ति कार्यक्रम के बारे में बताएंगे। चीन में पढ़ाई करने से देश के बारे में उनकी धारणा भी बदलती दिखाई दी है।
इन छात्रों के चीन जाने से पहले, उन्हें पश्चिमी देशों की राजनीतिक प्रणालियों की तुलना में चीनी राजनीतिक प्रणाली को एक से पांच के पैमाने पर (बहुत कम प्रभाव से बहुत उच्च प्रभाव तक) स्कोर करने के लिए कहा गया था।
छात्रों ने विदेश में अध्ययन से पहले चीन की प्रणाली को पांच में से 3.45 का औसत स्कोर दिया। कार्यक्रम शुरू करने और कुछ समय तक चीन में रहने के बाद, यह औसत स्कोर बढ़कर 4.01 हो गया।
अपने तीसरे सर्वेक्षण के लिए, हमने सोलोमन नेशनल यूनिवर्सिटी के 93 छात्रों से चीन और अमेरिका व ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के बारे में उनके विचारों पर चर्चा की।
हमारे उत्तरदाताओं में से दो-तिहाई चीन और सोलोमन द्वीप के बीच घनिष्ठ द्विपक्षीय संबंधों के समर्थक थे, लेकिन अमेरिका के साथ घनिष्ठ संबंधों के लिए समर्थन और भी अधिक (76 प्रतिशत) था।
सोलोमन द्वीप में लगभग 80 प्रतिशत छात्रों ने चीन की ‘बेल्ट और रोड’ परियोजनाओं का भी समर्थन किया। एक प्रतिभागी ने लिखा, “वे हमारी सड़कों के निर्माण और रखरखाव में बहुत सहायक हैं।”
हालांकि करीब 20 प्रतिशत प्रतिभागियों का दृष्टिकोण अधिक नकारात्मक था। उदाहरण के लिए, एक छात्र ने कहा, “उनका उद्देश्य हमारी सरकार के लिए ऋण जोखिम पैदा करना है और इससे चीन का हमारे संपूर्ण संसाधनों पर नियंत्रण हो जाएगा।”

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