देश की खबरें | जोलजेंस्मा : स्पाइनल मस्कुलर एट्रोपी के 17 करोड़ रू के इंजेक्शन में आखिर है क्या?

नयी दिल्ली, आठ नवंबर एक इंजेक्शन 17 करोड़ रुपये का ! सुनकर चौंकना स्वाभाविक है, लेकिन दो साल से कम उम्र के बच्चों में स्पाइनल मस्कुलर एट्रोपी (एसएमए) के इलाज में इस्तेमाल होने वाले जोलजेंस्मा इंजेक्शन का यही दाम है।
यह दवा एक बार फिर सुर्खियों में है क्योंकि कर्नाटक में रहने वाले 15 महीने के एक लड़के को उपचार के लिये ऐसे ही एक इंजेक्शन का इंतजार है।
जीन थेरेपी, दुनिया की सबसे महंगी दवाओं में से एक, आशाजनक परिणाम देती है लेकिन विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह मांसपेशियों की बर्बादी और कमजोरी का कारण बनने वाली दुर्लभ तंत्रिका स्थिति के लिए एक निश्चित समाधान नहीं है। यह बीमारी का इलाज नहीं है लेकिन रोग के बढ़ने को सीमित कर देता है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर एसएमए से पीड़ित राज्य के 15 महीने के बच्चे के इलाज के लिए मदद मांगी है।
भारत में अभी तक इसे मंजूरी नहीं मिली है, लेकिन अंदरूनी सूत्रों का अनुमान है कि पिछले कुछ वर्षों में लगभग 90 बच्चों को जोलजेंस्मा प्राप्त हुआ है। यह देखते हुए कि बहुत ज्यादा अमीर लोगों को छोड़कर सभी के लिए एकल खुराक वाला यह इंजेक्शन पहुंच से बाहर है, ऐसे में इसे अधिकांशत: मानवीय सहायता कार्यक्रमों या क्राउड फंडिंग के माध्यम से जुटाया जाता है। डॉक्टर के पर्चे और सरकार की मंजूरी के बाद दवा का आयात किया जा सकता है।
दुनिया भर में 10,000 जीवित जन्मे शिशुओं में से एक को एसएमए होने की आशंका रहती है और शिशुओं में यह मृत्यु का प्रमुख कारण है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नयी दिल्ली में बाल तंत्रिकारोग विशेषज्ञ शेफाली गुलाटी ने कहा, “पश्चिम में, एसएमए की वाहक आवृत्ति – जीन ले जाने वाले लोगों की संख्या – 50 में से 1 है। हालांकि, एक हालिया भारतीय अध्ययन में, एसएमए वाहक आवृत्ति की पहचान 38 में से 1 के रूप में की गई थी। उत्तर भारत के एक अन्य अध्ययन में यह 30 में से 1 पाया गया।”
जैसे-जैसे बीमारी की घटनाओं और एक इंजेक्शन की भारी लागत पर चिंता बढ़ती जा रही है, विशेषज्ञ यह समझा रहे हैं कि वास्तव में यह क्या है:
जोलजेंस्मा क्या है?
स्विटजरलैंड की दवा कंपनी नोवार्टिस द्वारा विकसित जोलजेंस्मा एसएमए के उपचार के लिये बनाई गई है। एसएमए, मोटर न्यूरॉन्स – पूरे शरीर में जटिल सर्किट जो ग्रंथियों और मांसपेशियों की गतिविधियों की अनुमति देते हैं- को प्रभावित करने वाली एक दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी है। इसमें मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और बहुत खराब स्थिति में लकवा हो जाता है या कई बार मरीज की मौत भी हो जाती है।
हैदराबाद स्थित यशोदा अस्पताल में बाल न्यूरोलॉजी विभाग में कंसलटेंट डॉ. एन. वर्षा मोनिका रेड्डी बताती हैं, “जोलजेंस्मा मोटर न्यूरॉन कोशिकाओं में एसएमएन जीन की एक कार्यात्मक प्रतिलिपि प्रदान करता है, जिससे एसएमए वाले बच्चों में मांसपेशियों की गति और कार्य में सुधार होता है।”
यह इतना महंगा क्यों है?
बाल रोग विशेषज्ञ विभु क्वात्रा ने कहा कि भारत में जोलजेंस्मा की लागत लगभग 17 करोड़ रुपये (21 लाख अमेरिकी डॉलर) है (टैक्स घटाकर) जो इसमें शामिल व्यापक शोध और विकास के कारण है।
दिल्ली के रेनबो चिल्ड्रन हॉस्पीटल से संबद्ध क्वात्रा ने ‘पीटीआई-’ को बताया, “इसके सीमित बाजार आकार और जीवन बचाने की क्षमता इसकी ऊंची कीमत की वजह है।”

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