देश की खबरें | दिल्ली की अदालत ने पीएफआई के खिलाफ मामले में ईडी के आरोप-पत्र पर संज्ञान लिया

नयी दिल्ली, नौ नवंबर राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने कथित आतंकवादी गतिविधियों से संबंधित धनशोधन मामले में तीन आरोपियों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से दायर पूरक आरोप-पत्र पर बृहस्पतिवार को संज्ञान लिया। यह मामला प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से जुड़ा है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सचिन गुप्ता ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ मुकदमा आगे बढ़ाने के लिए ‘प्रथम दृष्टया’ पर्याप्त तथ्य मौजूद हैं।
न्यायाधीश ने आरोपी कंपनी, तमिलनाडु फाउंडेशन ट्रस्ट के प्रतिनिधि और उसके प्रबंध न्यासी एम मोहम्मद इस्माइल को 12 दिसंबर को तलब किया। उसी दिन अदालत मामले में आगे की सुनवाई करेगी।
उन्होंने ट्रस्ट के सचिव सैयद मोहम्मद कासिम इब्राहिम के खिलाफ पेशी वारंट जारी किया। वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।
प्रवर्तन निदेशालय ने 20 अक्टूबर को अदालत के समक्ष ‘अभियोजन शिकायत’ दायर की। ‘अभियोजन शिकायत’ आरोप पत्र के समतुल्य होता है। अदालत ने मामले को 26 अक्टूबर को विचार के लिए सूचीबद्ध किया था।
वकील मोहम्मद फैजान खान के साथ ईडी के विशेष लोक अभियोजक एन के मट्टा ने अदालत को अवगत कराया कि मामले में आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं।
यह मामला कई वर्षों में 120 करोड़ रुपये के कथित धनशोधन से संबंधित है।
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को आतंकवादी गतिविधियों और आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकवादी संगठनों के साथ कथित संबंधों को लेकर पिछले साल सितंबर में केंद्र द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था।
ईडी ने कड़े गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत दंडनीय कथित आतंकवाद-संबंधी गतिविधियों के लिए राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी के आधार पर मामला दर्ज किया था।
ईडी ने आरोप लगाया कि आरोपियों और संगठन से जुड़े अन्य सदस्यों ने दान, हवाला, बैंकिंग चैनलों आदि के माध्यम से धन एकत्र किया, जिसका इस्तेमाल गैरकानूनी गतिविधियों और विभिन्न अपराधों को अंजाम देने के लिए किया जा रहा था।
धनशोधन-रोधी एजेंसी ने यह भी कहा कि उसकी जांच में पाया गया कि फर्जी नकद दान और बैंक अंतरण किए गए थे।

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