नयी दिल्ली, 10 नवंबर दिव्यांगजनों के लिए मुख्य आयुक्त ने कहा है कि यदि कोई सरकारी कार्यालय एक ऐसी इमारत या परिसर में स्थित है, जिसमें दिव्यांगजन सुगमता से नहीं जा सकते हैं तो ऐसे व्यक्तियों को सेवा देने के लिए संबद्ध अधिकारी को भूतल पर या किसी अन्य सुगम्य स्थान पर जाना चाहिए।
उनका फैसला एक वीडियो वायरल होने के बाद आया है, जिसमें यह देखा जा सकता है कि व्हीलचेयर पर बैठी विराली मोदी नाम की महिला को अपनी शादी (कोर्ट मैरिज) के दिन बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा।
उनकी शादी के दिन उन्हें विवाह पंजीयक (रजिस्ट्रार) के दूसरी मंजिल पर स्थित कार्यालय में उठा कर ले जाना पड़ा था क्योंकि इमारत में ‘लिफ्ट’ नहीं थी और अधिकारियों ने औपचारिकताएं पूरी करने के लिए नीचे आने से इनकार कर दिया था।
वायरल पोस्ट (वीडियो) के बाद, दिव्यांगजनों के लिए मुख्य आयुक्त राजेश अग्रवाल ने एक सुनवाई की और फैसला सुनाया कि बहुत स्पष्ट सांविधिक प्रावधान के बावजूद विभिन्न सार्वजनिक इमारतों में और लोक सेवाएं पाने के लिए उनमें सुगमता से नहीं जाया जा सकता।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, देश भर में किसी भी सरकारी कार्यालय के अधिकारी, चाहे वह केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार का प्रतिष्ठान या स्थानीय सरकार, किसी भी भवन/परिसर से कार्य करते हुए, जो अभी भी सुगम्य नहीं है, उन्हें भूतल या किसी अन्य स्थान पर जाना होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह उन सार्वजनिक सेवाओं पर लागू होगा, जिसमें सरकार द्वारा आउटसोर्स की गई सेवा जैसे कि पासपोर्ट/वीज़ा सेवाएं, जन सुविधा केंद्र, सीएससी (कॉमन सर्विस सेंटर) आदि शामिल हैं।”
मुख्य आयुक्त कार्यालय, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के तहत आता है।