देश की खबरें | उच्च न्यायालय ने निजी स्कूलों के कैग से ऑडिट संबंधी जनहित याचिका पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा

नयी दिल्ली, 10 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सभी गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों के खातों की नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) से जांच कराने के अनुरोध वाली जनहित याचिका पर राष्ट्रीय राजधानी की सरकार से रुख स्पष्ट करने को कहा।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने जन सेवा वेलफेयर सोसाइटी की याचिका पर नोटिस जारी किया और कैग के साथ-साथ राजधानी के सभी गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों से भी उनका रुख पूछा है।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों को तब तक अपनी फीस बढ़ाने की अनुमति नहीं दी जा सकती जब तक कि उनके खातों का कैग द्वारा ऑडिट नहीं किया जाता और शिक्षा निदेशालय द्वारा जांच नहीं की जाती।
दिल्ली सरकार के अधिवक्ता संतोष कुमार त्रिपाठी ने याचिका का विरोध किया और कहा कि गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों के खातों का अनिवार्य रूप से कैग द्वारा ऑडिट कराने की कोई कानूनी आवश्यकता नहीं है।
पीठ में शामिल न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने एक हजार से अधिक गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूलों के ऑडिट के अतिरिक्त कार्य का बोझ कैग पर डालने पर आपत्ति जताई।
कैग के अधिवक्ता ने कहा कि इस उद्देश्य के लिए विशेष लेखा परीक्षक नियुक्त किए जा सकते हैं, क्योंकि शिक्षा का अधिकार एक महत्वपूर्ण अधिकार है।
याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा है कि एक आरटीआई प्रतिक्रिया के अनुसार, 2010 के बाद दिल्ली में कैग द्वारा किसी भी गैर सहायता प्राप्त स्कूल का ऑडिट नहीं किया गया है और शिक्षा निदेशालय ने उनके खातों की जांच नहीं की है, जबकि उनकी फीस बिना किसी विचार-विमर्श के बढ़ा दी गई है।
याचिकाकर्ता ने निजी स्कूलों द्वारा अत्यधिक फीस वसूलने और स्वीकार्य सीमा से अधिक अन्य शुल्क लगाने पर चिंता जतायी है।
मामले की अगली सुनवाई जनवरी में होगी ।

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