देश की खबरें | मराठा आरक्षण की मांग के प्रति शिंदे सरकार उदासीन : पूर्व मंत्री

मुंबई, सात नवंबर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष जयंत पाटिल ने मंगलवार को एकनाथ शिंदे नीत राज्य सरकार पर मराठा आरक्षण के प्रति उदासीन रवैया अपनाने का आरोप लगाया।
पाटिल ने यहां संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि तीन दलीय गठबंधन सरकार को नौकरियों एवं शिक्षा में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को गंभीर मुद्दा मानना चाहिए और इसे तार्किक निष्कर्ष तक ले जाना चाहिए।
महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री चुके पाटिल ने आरोप लगाया, ‘‘सरकार मराठा आरक्षण मुद्दे पर उदासीन है।’’
उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस और एक अन्य उपमुख्यमंत्री अजित पवार इस भावनात्मक मुद्दे पर अलग-अलग स्वर में बोलते हैं, जिससे पता चलता है कि सत्तारूढ़ गठबंधन के सभी तीन दल के बीच मराठा आरक्षण को लेकर एक राय नहीं है।
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि राकांपा का दृढ़ रुख है कि मराठों को समाज के अन्य वंचित वर्गों के लिए मौजूदा कोटा को छेड़े बिना आरक्षण दिया जाना चाहिये ।
इस बीच, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) नेता प्रकाश शेंडगे ने यहां प्रदेश सरकार के मंत्री छगन भुजबल से मुलाकात की और मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देकर अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी में शामिल किये जाने के किसी भी प्रयास का विरोध किया।
शेंडगे ने चेतावनी दी कि इस तरह का कोई भी कदम अन्य समुदायों के साथ अन्याय होगा और ओबीसी समूहों के विरोध का सामना करना पड़ेगा।
मराठा समुदाय के लिए आरक्षण के समर्थन में आंदोलन के हालिया दौर में राज्य के विभिन्न हिस्सों में हिंसा हुई। आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने पिछले सप्ताह नौ दिन के बाद अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल समाप्त कर दी थी और सरकार से दो महीने में इस मुद्दे का समाधान करने के लिये कहा।
महाराष्ट्र की जनसंख्या में मराठों की संख्या करीब 30 फीसदी है और वे शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में लंबे समय से आरक्षण दिये जाने की मांग कर रहे हैं ।

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