बेंगलुरु, सात नवंबर कर्नाटक उच्च न्यायालय ने विश्वेश्वरैया प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (वीटीयू) के कुलपति के रूप में एस. विद्याशंकर की नियुक्ति पर सवाल उठाने वाली एक जनहित याचिका मंगलवार को खारिज कर दी।
मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बी. वराले और न्यायमूर्ति कृष्ण एस. दीक्षित की पीठ ने पहले फैसला सुरक्षित रख लिया था।
अदालत ने स्पष्ट किया है कि उसने उनकी नियुक्ति से जुड़ी वैधानिकता या पूरी प्रक्रिया पर कोई राय व्यक्त नहीं की है। इसने इस बात पर जोर दिया कि यह निर्णय केवल याचिका से संबंधित है और इसका किसी अन्य संबंधित मामले पर कोई प्रभाव नहीं होगा।
मैसूर विश्वविद्यालय के पूर्व अंतरिम कुलपति प्रोफेसर बी शिवराज ने नियुक्ति से संबंधित एक याचिका दायर की थी। शिवराज अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
याचिका में दावा किया गया है कि वीटीयू के कुलपति की नियुक्ति के लिए राज्य सरकार की जांच समिति का गठन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नियमों और वीटीयू अधिनियम की धारा 13 के अनुरूप नहीं किया गया था, क्योंकि इसमें यूजीसी के किसी पात्र प्रतिनिधि को शामिल नहीं किया गया था।
याचिकाकर्ता के अनुसार, वीटीयू में कुलपति पद के लिए केंद्रीय मानव संसाधन विकास विभाग और यूजीसी के मानदंड और आवश्यकताओं को पूरा करने वाले व्यक्ति की नियुक्ति आवश्यक है। फैसले की प्रति का इंतजार है।